चित्त प्रवाह!?
मुंशी प्रेमचंद ने कहा है कि 👍सरकारें निरर्थक होती हैं।मानवता व प्रकृति को तो सेवक व संरक्षक चाहिए।👌
कार्ल मार्क्स भी कहते हैं कि दुनिया को बर्बाद करने वाले हैं पूंजीवादी ,सत्तावादी लोग।
बीस साल पहले के विज्ञापन देखिए, पूंजीवादी क्या क्या दम्भ भरते थे?!वे विज्ञापन क्या क्या बेचने के लिए विज्ञापन में क्या क्या शब्द व वाक्य इस्तेमाल करते थे?
कभी यूरिया आदि को जबरदस्ती सत्तावाद व पूंजीवाद की मिलीभगत ने किसानों को परोसी?रिफाइंड तेल न जाने क्या क्या कह कर बेचा?अब भी न जाने क्या क्या बेंचा जा रहा है? वहीं जांच रिपोर्ट कुछ और ही कह रही हैं।
अनेक चीजें ऐसी परोसी गयीं जिसने मानवता का कत्ल ही क्या, स्वास्थ्य का कत्ल ही किया?
मार्केट कल्चर ने स्वास्थ्य, मानवता को कमजोर ही किया।जिसके लिए सत्तावाद व पूंजीवाद दोनों दोषी हैं। जिसमें वर्तमान तन्त्र ही समस्या बन चुका है।जिसका नेतृत्व करने वाले, विभिन्न पदों पर बैठे लोग भी जिम्मेदार हैं। मार्किट में वह वह बिक रहा है जो स्वास्थ्य व मानवता के लिए हानिकारक है लेकिन वर्तमान सिस्टम, दल, नेताओं को कोई मतलब नहीं।
ऐसी चीजें भी खुले आम बिक रही हैं, उन पर खुला प्रचार हो रहा है जो चीजें जिस देश से बन रही हैं वहीं बैन है लेकिन अपना देश महान।
#अशोकबिन्दु
Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Mar-2023 06:07 AM
बहुत ही उम्दा लेख,,,, ये हमारा दुर्भाग्य है कि जिन्हें हम चुनकर अपना नेतृत्व देते हैं वो ही हमे जहर खिलाने के लिए कपनियों को न्योता देते हैं
Reply
Alka jain
01-Mar-2023 07:48 PM
Nice 👍🏼
Reply
सीताराम साहू 'निर्मल'
19-Feb-2023 02:59 PM
👏👏
Reply